छत्तीसगढ़

बच्चों को जब सजा देने खुद जज बन गए ग्रामीण, जानिए पूरा माजरा— khabar Xpress

खबर एक्सप्रेस डेस्क। एक गांव में जब बच्चों ने चोरी की, तो ग्रामीणों ने खुद ही जज बनकर उन्हें सजा सुना दिया। ग्रामीणों ने बच्चों को पांच मिनट तक मुर्गा बनने कहा, फिर उनसे 50-50 बार उठक-बैठक करवाई। सजा पाने वाले बच्चों की उम्र महज 10 से 12 साल की बीच है। उन्हें एक महिला के घऱ में घुसकर चार हजार रुपए की चोरी के आरोप में यह सजा कोरिया के एक गांव के ग्रामीणों ने खुद कानून को अपना हाथों में लेते हुए सुनाई थी।

बच्चों ने की चोरी तो ग्रामीणों द्वारा बच्चों को ऐसी सजा देने के पीछे ग्रामीणों का तर्क था कि मामला थाने गया तो फिर कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाना पड़ेगा और बच्चों को भविष्य भी खराब हो जाएगा। इसके चलते ग्रामीण खुद बन गए जज और नाबालिगों को दे दी अमानवीय सजा।

जानिए क्या था मामला-

मामला कोरिया जिले के भरतपुर विकासखण्ड के तोजा गांव का है, जहां गणतंत्र दिवस को एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें चोरी का आरोप लगाकर नाबालिग बच्चों को गांव में ही दंड देने का निर्णय लिया गया। तीन मासूमों पर आरोप था कि वे एक महिला के घर में घुसकर चार हजार रुपए चोरी की है। हालांकि बच्चों को चोरी करते हुए किसी ने नहीं देखा है। बावजूद ग्रामीणों ने बच्चों के दोषी होने का फैसला भी खुद ही कर लिया। सजा के तौर पर गांव में ही पहले तो पांच मिनट तक उन्हें मुर्गा बनने के लिए कहा, उसके बाद बच्चों से 50-50 बार उठक-बैठक भी करवाई गई। अमानवीयता देखिए, मुर्गा बनाने के दौरान दस से बारह साल के मासूमों की पीठ पर ईंट का आधा टुकड़ा भी रखा गया।

बच्चों पर ग्रामीणों का आरोप है कि एक महिला के घर में घुसकर रुपयों की चोरी इन बच्चों ने ही की थी। चोरी करते किसी ने नहीं देखा, लेकिन संदेह के आधार पर पकड़कर पूछताछ की गई, तो बच्चों ने अपराध कबूल लिया। बच्चों को इस तहर की सजा देने के पीछे तोजा गांव के सरपंच और ग्रामीणों का तर्क था कि यह मामला अगर थाने और कोर्ट-कचहरी तक जाएगा तो बच्चों का भविष्य बिगड़ जाएगा। इसीलिए गांव में ही दंडित करने का निर्णय लिया। मासूमों को सजा देने के बाद छोड़ दिया गया। चार दिन पहले दी गई इस तरह की सजा का 26 जनवरी को वायरल होना शुरू हुआ।

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