ग्रेट जॉब NHMMI: 10 कदम था चलना जिस 87 साल के बुजुर्ग का दुभर, अब घुटनों के सफल इलाज से 3 दिन में लगा चलने
अनुभवी डॉक्टरों की टीम और बेहतर तकनीक से सुसज्जित अस्पताल प्रबंधन ने फिर किया कमाल
रायपुर। एनएचएमएमएमआई नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने उपलब्धियों की फेहरिस्त में इस बार एक 87 वर्ष के वृद्ध के दोनों घुटने का सफल इलाज कर उनके जिंदगी में मुस्कान बिखेर दी है। राजधानी के लालपुर स्थित एनएचएमएमआई नारायणा हॉस्पिटल अपने अनुभवी डॉक्टरों, बेहतर तकनीक और चुनौतियों से निपटकर उम्दा इलाज के नाम से पूरे देश-दुनिया में विख्यात है।एनएचएमएमआई नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के हड्डीरोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. अंकुर गुप्ता ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 87 वर्षीय वृद्ध श्री शुक्ला को लंबे समय से दोनों ही घुटनों में असहनीय दर्द था, जब उन्हें इलाज के लिए अस्पताल लाया गया तो शुरुआती जांच में पाया गया कि उनके दोनों घुटनों की चिकनी हड्डी जिसे कार्टिलेज कहते हैं वह पूरी तरह से खराब हो चुकी है। घुटने की इस समस्या को ओस्टियोआर्थराइटिस कहते हैं।
आसान शब्दों में कहा जाए तो ओस्टियोआर्थराइटिस का मतलब है घुटने के जोड़ का बूढ़ा होना। उन्होंने बताया कि हमारा घुटना जांग की हड्डी एवं पैर की हड्डी से बना होता है। इन दोनों हड्डियों के बीच इतना लचीला एवं रबड़ जैसा कार्टिलेज लगा होता है जो दोनों हड्डियों के बीच एक गद्दे की तरह काम करता है और जोड़ को आसानी से मुड़ने में मदद करता है। हमारी हड्डियों में रक्तनलिकाएं और नसें होती है इसलिए उनमें चोट लगने पर हमें दर्द होता है। लेकिन इसके विपरीत कार्टिलेज में नाही रक्तनलिकाएँ होती है और ना ही नसें होती हैं। इसलिए जब एक कार्टिलेज दूसरे पर चलता है तो हमें दर्द नहीं होता है। डॉ अंकुर गुप्ता ने बताया कि उम्र के साथ धीरे-धीरे यह कार्टिलेज घिसता चला जाता है और हड्डियों के बीच के घर्षण को रोकने की इसकी क्षमता कम हो जाती है। कार्टिलेज के इस प्रकार से घिसकर पतले होने को ही चिकित्सकीय भाषा में ओस्टियोआर्थराइटिस कहा जाता है। मुख्यतः यह बढ़ती उम्र के कारण होता है लेकिन पुरानी चोट एवं अनुवांशिक कारणों से इसकी संभावना बढ़ जाती है ।
अंकुर गुप्ता ने बताया कि अधिकांशतः हमारे पास जो मरीज आते हैं वे 50 से 80 वर्ष के होते हैं। जिनकी सर्जरी में जोखिम कम होता है और रिकवरी भी जल्दी होती है। लेकिन इस केस में मरीज की उम्र अधिक होने के कारण यह सर्जरी मुश्किल थी। लेकिन योजनाबद्ध तरीके से अनुभवी चिकित्सकों और फिजियोथेरेपी टीम की मदद से सर्जरी के मात्र 3 दिन बाद ही मरीज अपने पैरों पर चल पा रहा है। एनएचएमएमआई नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉक्टर आलोक स्वाइन ने बताया कि हॉस्पिटल के हड्डी रोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विभाग में कुशल एवं अनुभवी चिकित्सकों के साथ ही नवीनतम मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ एवं सर्व सुविधा युक्त फिजियोथेरेपी विभाग की सुविधा उपलब्ध है, जिनकी मदद से जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी के मात्र 6 दिनों बाद मरीज अपने पैरों पर चल कर घर जा पाते हैं ।इस कॉन्फ्रेंस में नारायणा हेल्थ वेस्ट जोन के रीजनल डायरेक्टर अरुणेश पुनेथा ,सीनियर मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉ आलोक स्वाइन, हड्डी रोग एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ अंकुर गुप्ता और एजीएम मार्केटिंग रवि कुमार भगत भी मौजूद थे।