छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के इस जिले में सगंध फसलों की उन्नत प्रजातियों के विस्तार के प्रयास को अफसरों ने सराहा, कृषकों से की बातचीत—-khabar Xpress

खबर एक्सप्रेस डेस्क। सुपारी व मसाला निदेशालय, कालीकट, केरल के निदेशक डॉ. होमी चेरियन, उपनिदेशक डॉ फेमिना एवं इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के उत्कृष्टता केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ एस. एस. टुटेजा व डॉ. डी. खोकर ने कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया दवारा जिला प्रशासन के सहयोग से ग्राम दुधानिया, उमझर, लाई की सामूहिक बाड़ियों में 34 एकड़ में स्थापित लेमन ग्रास/खस की उन्नत खेती का अवलोकन व भ्रमण कर जिला कोरिया में सगंध फसलों की उन्नत प्रजातियों के विस्तार के प्रयास को सराहनीय कदम बताया।

डॉ. चेरियन से सामूहिक बाड़ियों के कृषकों ने चर्चा उपरांत बताया कि लेमन ग्रास की दो कटाई हो चुकी है तथा सगंध तेल का निष्कासन कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया के प्रक्षेत्र में स्थापित भाप आसवन संयंत्र से निकाला जा रहा है साथ ही साथ विभिन्न सगंध फसलों जैसे पामरोसा, सिट्रोनेला, हल्दी, खस, पचैली एवं शैल जिंजर से भाप आसवन संयंत्र दवारा निकाले गए सगंध तेल से स्व उद्यमिता के लिए 15 मिली की सगंध तेल की पैकिंग, हस्तनिर्मित सगंध साबुन, सगंध अगरबत्ती, रूम फ्रेशनर इत्यादि का निर्माण भी प्रायोगिक स्तर पर के वी के मार्गदर्शन में किसान उत्पादक संगठन के अंतर्गत कृषकों व महिला समूहों ने प्रारम्भ कर दिया है ताकि स्व रोजगार से स्व उद्यमिता की संकल्पना को साकार किया जा सके। लेमन ग्रास की पत्तियों व तना को सुखाकर लेमन ग्रास चायपत्ती भी कृषकों के माध्यम से बनाई जा रही है।

केवीके प्रक्षेत्र में मनरेगा से तैयार सतावर, हठजोड़, पचैली, स्टेविआ, अश्वगंधा, पथरचूर, पथरचटा, वन अजवाइन, वन लहसुन, अपराजिता इत्यादि की पौध नर्सरी तैयार कर औषधीय पौधों को जिले में उपलब्ध कराने के प्रयास को पारम्परिक खेती की अवधारणा को बढ़ाने के लिए प्रभावी कदम बताया।

कोरिया जिले में जिला प्रशासन की मंशा अनुरूप लेमन ग्रास की कावेरी, कृष्णा, सिम शिखर, खस की सिम वृद्धि सिट्रोनेला की बायो-13, पामारोसा की मोतीया, हल्दी की रश्मि व बी एस आर-2 तथा सौंफ की अजमेर फेनेल-2 को गौठान ग्रामों में प्रायोगिक तौर पर प्रक्षेत्र परीक्षण व प्रचार प्रसार के लिए लगाया गया है। ताकि विभिन्न सगंध व मसाला फसलों की उन्नत प्रजातियों के ऊपज व गुणवत्ता के आंकड़ों के आधार पर जिले में अच्छा प्रदर्शन करने वाली सगंध व मसाला फसलों की उन्नत प्रजातियों का रकबा, बीज तथा पौध सामग्री कृषकों को उपलब्ध हो सके।

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