एनएचएमएमआई ने फिर रचा नया कीर्तिमान, एक मासूम बच्ची को नई जिंदगी देकर हासिल की ये कामयाबी
रायपुर। एनएचएमएमआई अस्पताल अपने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और सफल इलाज के नाम से देश और विदेश में मशहूर है। इसी कड़ी में अस्पताल प्रबंधन के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने कॉन्जेनाइटल हार्ट डिजीज से ग्रसित एक मासूम बच्ची का सफलतापूर्वक इलाज कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।टीम ने जहां एक ओर बच्ची सफलतापूर्वक इलाज कर उसके जीवन में खुशियां बिखेर दी है वहीं दूसरी ओर भारत का पहला और विश्व का दूसरा सबसे कम उम्र के मरीज का सफल इलाज करने में कामयाबी हासिल की है।

आज अस्पताल के सभागार में डॉक्टरों की टीम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त रूप से बताया कि पिंकी (मरीज बच्ची का बदला हुआ नाम ) को जो गंभीर बीमारी थी,उसका सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। जिसमें विशिष्ट जटिलताओ के साथ मल्टीपल पैरावालवुलर लीक को पीडीए डिवाइस के जरिए बंद किया गया है। एनएचएमएमआई के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने यह सफल इलाज भारत के सबसे कम उम्र यानि 11 साल के मरीज का किया है, जिसका वजन महज 16 किलोग्राम था।यह इलाज भारत मे अब तक का पहला और विश्व मे दूसरे सबसे कम उम्र के बच्चे का सफल केस है।यहां ध्यान देने वाली बात है कि हृदयरोग के इलाज के क्षेत्र में कार्डियक डिवाइसेज लगाना भिन्न-भिन्न केसेस के हिसाब से अपने आप में एक जटिलताओं भरी चुनौती मानी जाती है। इस केस में बच्ची की उम्र बहुत कम यानि 11 साल और वजन 16 किलोग्राम था, जिसमें केस के हिसाब से तीसरी बार ओपन हार्ट सर्जरी का विकल्प बिल्कुल भी नहीं था।
डॉक्टर सुमंत शेखर पधि , वरिष्ठ कंसल्टेंट, कॉर्डियोलॉजी-एडल्ट ,एमएमआई नारायणा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल ने कहा कि पिंकी (बदला हुआ नाम) कॉन्जेनाईटल हार्ट डिजीज से ग्रसित थी। ऐसी स्थिति में उम्र बढ़ने के साथ साथ इस तरह की जटिलताएं आती ही है। पिंकी का सफल इलाज हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था।लेकिन हमारे काबिल डॉक्टर्स की टीम ने पिंकी का बेहतर और सफल इलाज कर एक नया इतिहास बनाया है।इस सफल इलाज के लिए मैं अपने टीम के सदस्य डॉक्टर आलोक स्वैन, डॉ अंशिका, डॉ किंजल बक्षी और पूरे कैथ लैब स्टाफ को बेहतरीन सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूँ।



