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ओपी जिन्दल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने रचा कीर्तिमान, बना देश का नंबर-1 व दुनिया का 76वां शीर्ष कानून विश्वविद्यालय, पढ़ें पूरी खबर

चांसलर नवीन जिन्दल ने दी यूनिवर्सिटी टीम को बधाई, जेएसपीएल के संस्थापक चेयरमैन एवं हरियाणा के पूर्व ऊर्जामंत्री की याद में सोनीपत में स्थापित किया गया है विश्वविद्यालय

 रायपुर। हरियाणा के सोनीपत में स्थापित ओपी जिन्दल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (ओपीजेजीयू) ने अपनी स्थापना के मात्र 12 वर्षों में सफलता का अनूठा इतिहास रच दिया है। क्यूएस यूनिवर्सिटी वर्ल्ड रैंकिंग-2021 में कानून की पढ़ाई में इसे 76वां स्थान मिला है। देश का यह इकलौता कानून की पढ़ाई कराने वाला विश्वविद्यालय है जिसे दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में स्थान मिला है।

भारत के निजी विश्वविद्यालयों में यह पहले से ही नंबर-1 यूनिवर्सिटी है। इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर चांसलर नवीन जिन्दल ने यूनिवर्सिटी टीम को बधाई देते हुए कहा कि हरियाणा के पूर्व ऊर्जामंत्री ओपी जिन्दल की याद में स्थापित यह यूनिवर्सिटी आने वाले समय में शिक्षा के क्षेत्र में और नए आयाम स्थापित करेगी।

जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार श्रीमती शालू जिन्दल के नेतृत्व वाले जेएसपीएल फाउंडेशन की पहल पर स्थापित ओपी जिन्दल ग्लोबल यूनिवर्सिटी का जिन्दल ग्लोबल लॉ स्कूल (जेजीएलएस) क्यूएस यूनिवर्सिटी वर्ल्ड रैंकिंग-2021 में शामिल होने वाला भारत का एकमात्र कानून की पढ़ाई कराने वाला संस्थान है। इसके साथ ही भारत कानून की पढ़ाई और उच्च शिक्षा के मामले में विश्व मानचित्र पर आ गया है। क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग के लिए 976 लॉ स्कूल कतार में थे।

इस उपलब्धि पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यूनिवर्सिटी के चांसलर नवीन जिन्दल ने कहा कि पूरे विश्व में कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2020 में चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो गया था लेकिन ओपीजेजीयू की टीम ने अदम्य साहस और धैर्य का परिचय देते हुए इन कठिनाइयों को काबू किया और शानदार अकादमिक उत्कृष्टता का परिचय देते हुए विश्व में भारत का इकबाल बुलंद किया। मात्र 12 साल पहले स्थापित इस विश्वविद्यालय की उपलब्धियां अनूठी और सराहनीय हैं।

उन्होंने कहा कि अपनी मेहनत, लगन, समर्पण और सामूहिक प्रयास से ओपीजेजीयू को विश्व स्तरीय संस्थान बनाने का सपना विश्वविद्यालय के फैकल्टी सदस्यों ने साकार किया। यह देश के लिए गर्व का पल है क्योंकि अपने निरंतर प्रयास से ओपीजेजीयू ने राष्ट्र का मानवर्धन किया और भारत को कानून की पढ़ाई के मामले में विश्व मानचित्र पर जगह दिलाई।

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